
दुर्गा पूजा महायज्ञ - 2025
लाइव प्रतिदिन दुर्गा पाठ एवं आरती
माँ दुर्गा के पावन चरणों में अर्पित कीजिए अपनी श्रद्धा, और घर बैठे प्राप्त कीजिए उनका कृपामय आशीर्वाद।
वेद मंत्रों की मधुर ध्वनि, प्रमाणिक अनुष्ठान और आपके नाम से संकल्प के साथ हमारी लाइव नवरात्रि पूजा में सम्मिलित हों, और नवदुर्गा महोत्सव की दिव्य ऊर्जा का अनुभव करें।
28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक (प्रातः – सुबह 8 बजे से, संध्या – शाम 7 बजे तक)

Limited Seats Available
₹ 551/-
₹ 111/-
नवदुर्गा महायज्ञ का आयोजन
दुर्गा पाठ
माँ दुर्गा के पावन नामों और मंत्रों का सामूहिक उच्चारण। यह दिव्य पाठ घर-घर में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करेगा और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भर देगा।
आरती
भव्य आरती उत्सव, जिसमें माँ दुर्गा के चरणों में दीप, धूप और भक्ति के साथ वंदना की जाएगी। आरती का यह पावन क्षण मन, घर और वातावरण को पवित्र करेगा।
दुर्गा कथा
माँ दुर्गा के अवतार, उनके शौर्य, करुणा और महिमा की पावन कथा। श्रवण मात्र से भक्तों के हृदय में भक्ति का दीप प्रज्वलित होता है, और जीवन में नए उत्साह का संचार होता है।
महा हवन
वेद मंत्रों और शुद्ध आहुति के साथ सामूहिक महा हवन, जो वातावरण को पवित्र कर नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है और माँ की कृपा से जीवन में मंगलमय फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि पूजा का महत्व
नवरात्रि वह पावन अवसर है जब भक्त माँ आदि शक्ति के नौ दिव्य रूपों की उपासना कर अपने जीवन से अज्ञान, भय और दुखों का नाश करते हैं। वैदिक विधि, शुद्ध मन और गहन भक्ति-भाव से की गई यह पूजा भक्तों को सुख, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति का अमूल्य आशीर्वाद प्रदान करती है।
🙏 हमारी विशेष नवरात्रि पूजा
इस नवरात्रि, हमारा पूजन केवल परंपरा नहीं, बल्कि पूर्ण शास्त्रसम्मत और भावपूर्ण आराधना है। हम संपूर्ण वैदिक विधि-विधान से दुर्गा पाठ एवं आरती, माँ की महिमा-वर्णन कथा और महा हवन का आयोजन कर रहे हैं। प्रत्येक भक्त के नाम से व्यक्तिगत संकल्प लिया जाएगा, ताकि पूजा का पुण्य प्रत्यक्ष रूप से आपके और आपके परिवार तक पहुँचे। साथ ही, माँ के आशीर्वाद स्वरूप विशेष महाप्रसाद और आशीर्वचन पत्र प्रदान किया जाएगा, जिससे यह नवरात्रि आपके जीवन में स्थायी मंगल और कल्याण का कारण बने।
📿 पूजा के लाभ
नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना करने से भक्त के जीवन में नव ऊर्जा, आत्मबल और सकारात्मकता का संचार होता है। नौ रूपों की उपासना से दुःख, भय और रोग का नाश होता है, पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। वैदिक विधि-विधान से संपन्न पूजा नकारात्मक शक्तियों का नाश कर भक्त के मन, वचन और कर्म को पवित्र बनाती है। भक्ति-भाव से की गई यह साधना आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक होती है।
🌸 नवरात्रि पूजा की विशेषताएँ 🌸
- संपूर्ण वैदिक विधि-विधान से पूजन – शुद्ध मंत्रोच्चारण और शास्त्रसम्मत रीति।
- नौ देवी स्वरूपों की आराधना – प्रत्येक दिन माँ के एक स्वरूप का विशेष पूजन।
- व्यक्तिगत संकल्प – भक्त के नाम से आह्वान और आशीर्वाद।
- दुर्गा पाठ एवं भव्य आरती – भक्ति और आनंद का अद्भुत संगम।
- पावन दुर्गा कथा – माँ की महिमा, शक्ति और करुणा का श्रवण।
- महा हवन – वातावरण शुद्धि और मंगल की स्थापना।
- विशेष महाप्रसाद – माँ के आशीर्वाद का पावन प्रसाद।
🌼 नवरात्रि में पूजा क्यों करें?
नवरात्रि माँ आदि शक्ति की आराधना का सर्वोत्तम अवसर है। इन नौ दिनों में माँ के नौ स्वरूपों की उपासना से भक्त को दिव्य शक्ति, साहस और आत्मबल की प्राप्ति होती है। भक्ति-भाव से की गई पूजा जीवन से भय, रोग और संकट को दूर करती है और सुख, शांति, समृद्धि तथा संतोष का आशीर्वाद प्रदान करती है। शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि में माँ की कृपा से सफलता के द्वार खुलते हैं और हर कार्य सिद्ध होता है। यह केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का पावन माध्यम है।
माँ की आरती के समय द्रव्य अर्पित करना
माँ की आरती के समय द्रव्य अर्पित करना केवल भेंट नहीं, बल्कि अपनी कृतज्ञता, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह वह क्षण है जब भक्त अपने मन, वचन और कर्म को माँ के चरणों में अर्पण करता है, ताकि माँ की कृपा और आशीर्वाद जीवन भर साथ बना रहे।
दान–दक्षिणा
पूजा सम्पन्न होने के पश्चात पंडित जी को दान–दक्षिणा अर्पित करना हमारी कृतज्ञता और सम्मान का पावन प्रतीक है। शास्त्रों में कहा गया है – ‘विद्या, मंत्र और पूजा के योग्य फल का दान ही पूर्णता लाता है’। दक्षिणा के रूप में वस्त्र, अन्न, फल, तिल, दक्षिणा राशि और अन्य पूजन सामग्री दी जाती है, ताकि पूजा का पुण्य संपूर्ण हो और उसका फल भक्त एवं यजमान दोनों को प्राप्त हो। यह दान केवल पंडित जी को ही नहीं, बल्कि माँ के चरणों में समर्पण का ही एक रूप है।
प्रसाद
-
Prasad
नवरात्री का पवित्र महा प्रसाद का आशीर्वाद पाए अपने घर पे ! नवरात्री स्पेशल
₹501.00 – ₹1,101.00Price range: ₹501.00 through ₹1,101.00 Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageRated 0 out of 5
प्रसाद क्या होता है?
प्रसाद केवल अन्न या मिठाई नहीं, यह ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद का मूर्त रूप है। पूजा में अर्पित अन्न जब देवता की स्वीकृति प्राप्त करता है, तो वह पवित्र होकर भक्त के लिए दिव्य आशीर्वाद बन जाता है। भक्ति-भाव से ग्रहण किया गया प्रसाद जीवन में सुख, शांति और मंगल का संचार करता है।
प्रसाद क्यों चढ़ाया जाता है?
प्रसाद चढ़ाना हमारे समर्पण, कृतज्ञता और प्रेम का प्रतीक है। यह वह क्षण है जब हम अपनी श्रम से प्राप्त श्रेष्ठ वस्तु ईश्वर को अर्पित करते हैं, ताकि वह उनकी कृपा से पवित्र होकर हमें पुनः आशीर्वाद स्वरूप लौटे। शास्त्रों में कहा गया है – ‘अर्पितं तु हरौ नित्यम् प्रसादं भवति ध्रुवम्’ – अर्थात जो भी प्रभु को समर्पित किया जाता है, वह प्रसाद बनकर कल्याणकारी होता है।
पावन प्रसाद ग्रहण क्यों करना चाहिए?
प्रसाद ग्रहण करना केवल भोजन करना नहीं, यह ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद को आत्मसात करने का पवित्र माध्यम है। पूजा में अर्पित अन्न, देवता की स्वीकृति से पवित्र हो जाता है और उसे भक्ति-भाव से ग्रहण करने से जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रसाद ग्रहण करने से मन, वचन और कर्म शुद्ध होते हैं और भक्त का ईश्वर से संबंध और गहरा हो जाता है।
चढ़ावा (अर्पण) क्या होता है?
चढ़ावा वह पवित्र भेंट है जो भक्त अपनी श्रद्धा, प्रेम और कृतज्ञता के साथ देवी-देवता के चरणों में अर्पित करता है। यह फूल, फल, वस्त्र, नारियल, धन, धूप, दीप या अन्य कोई सामग्री हो सकती है, जिसे हम अपने मन के भाव के साथ ईश्वर को समर्पित करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि चढ़ावा केवल वस्तु नहीं, बल्कि हमारे मन का समर्पण और आस्था का प्रतीक है।
चढ़ावे का महत्व
चढ़ावा अर्पित करना केवल वस्तु देना नहीं, बल्कि अपने मन, वचन और कर्म को ईश्वर के चरणों में समर्पित करने का भाव है। यह हमारी कृतज्ञता, प्रेम और आस्था का पावन प्रतीक है। शास्त्रों में वर्णित है कि शुद्ध हृदय से अर्पित चढ़ावा भक्त के जीवन से दुःख, दोष और बाधाओं को दूर करता है तथा देव कृपा, सुख-समृद्धि और मंगल का आशीर्वाद प्रदान करता है।
🌸 चढ़ावे के पावन प्रकार 🌸
चढ़ावा भक्त की श्रद्धा और भक्ति का मूर्त रूप है। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार के पावन अर्पण बताए गए हैं, जिन्हें अपनी क्षमता और भाव के अनुसार अर्पित किया जा सकता है —
✅ फूल और माला – सुगंध और सौंदर्य के साथ माँ को प्रसन्न करने का सरल और पवित्र माध्यम।
✅ फल और नारियल – पवित्रता, समर्पण और शुभ फल का प्रतीक।
✅ धूप और दीप – वातावरण को शुद्ध करने और दिव्यता का संचार करने वाला अर्पण।
✅ वस्त्र और आभूषण – माँ को सम्मान और स्नेह का भाव प्रकट करने के लिए।
✅ अन्न, मिठाई और प्रसाद सामग्री – माँ को अर्पित कर आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण करने हेतु।
✅ धन-दक्षिणा – सेवा और धार्मिक कार्यों में योगदान का पावन भाव।
🌸 नौ कन्या पूजन 🌸
🌺 नौ कन्या पूजन एवं भोज क्या होता है? 🌺
नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ स्वरूप मानकर उनका पूजन, चरण-वंदन और सम्मानपूर्वक सत्कार किया जाता है।
भक्त उन्हें वस्त्र, फूल, श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हैं और आदर सहित भोजन कराते हैं।
शास्त्रों में वर्णित है कि कन्या पूजन करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है, पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य तथा मंगल की स्थापना होती है।
यह केवल सत्कार नहीं, बल्कि माँ के स्वरूप की सेवा और उनकी दिव्य उपस्थिति का पवित्र अनुभव है।
🌸 नौ कन्या पूजन एवं भोज का महत्व 🌸
1️⃣ माँ के नौ रूपों की आराधना – नौ कन्याएँ माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। उनके पूजन से सम्पूर्ण नवरात्रि साधना फलित होती है।
2️⃣ पाप और बाधाओं का नाश – शास्त्रों में वर्णित है कि कन्या पूजन से जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण होते हैं और जीवन से संकट दूर होते हैं।
3️⃣ सुख-समृद्धि की प्राप्ति – श्रद्धा से कन्याओं का सम्मान और भोजन कराने से घर में अन्न, धन और सौभाग्य का वास होता है।
4️⃣ आशीर्वाद का वरदान – कन्याएँ माँ का स्वरूप होने के कारण उनके आशीर्वाद से स्वास्थ्य, शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
5️⃣ सच्चे भक्ति भाव की अभिव्यक्ति – यह केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि माँ के चरणों में अपनी सेवा और प्रेम अर्पित करने का दिव्य माध्यम है।
🌺 नौ कन्या पूजन एवं भोज के लाभ 🌺
1️⃣ माँ दुर्गा की विशेष कृपा – पूजा से देवी के नौ रूप प्रसन्न होते हैं और भक्त पर उनका आशीर्वाद बरसता है।
2️⃣ सुख-समृद्धि में वृद्धि – घर में अन्न, धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
3️⃣ पापों का क्षय – जन्म-जन्मांतर के पाप और दोष दूर होते हैं।
4️⃣ स्वास्थ्य व दीर्घायु – देवी कृपा से परिवार में स्वास्थ्य और आयु की वृद्धि होती है।
5️⃣ संकटों से मुक्ति – जीवन की बाधाएँ और कष्ट दूर होते हैं।
6️⃣ मान-सम्मान में वृद्धि – समाज और ईश्वर, दोनों की दृष्टि में सम्मान बढ़ता है।